Monday, December 26, 2022

दुआ क्या होती है?-- duaa kya hoti hai

 

दुआ क्या होती है?

दुआ असल में हमको दुई से दूर करती है ॥

इंसान अपने आप को जब खुदा से अलग पाता है, मन बेजार हो उठता है,तनहायी तंग करती है, तब दुई यानि दूसरा होना का एहसास सही तरह से होना  शुरू हो जाता है। दुआ का काम है कि इस अंदरूनी फिक्र को कम करना॥

आमतोर पर हम अपनी अनह या अहम या ego में गरिफ़तार हो जाते हैं। यह समझने लगते हैं कि इंसान अपनी मर्जी का मालिक है और जो चाहे कर सकता है ॥ पर जब आदमी अपनी पूरी कोशिश के बावजूद कुछ कर नहीं पाता तो मजबूरी में वोह खुदा से दुआ करता है कि परवरदिगार मेरी चाहत में मदद करे॥

दुआ एक शर्त नहीं हो सकती, यानि कि अगर मालिक मांगने वाले की मर्जी के मुताबिक मांग पूरी नहीँ करता तो वोह मालिक से नराज हो जाएगा॥ असल में रूहानी नसीहत या उपदेश तो यही है, कि खुदा की रज़ा में राज़ी रहना। इसको गुरु नानक साहिब ने “हुक्म रज़ाई चलना” कह कर समझाया है ॥ दुआ का मतलब है –कि है खुदा मैं तेरी रज़ा में राज़ी रहूँगा,बिना कसी शिकवा या शिकायेत के ॥

दरअसल ऐसे हाल में--- मालिक और मांगने वाले की मर्जी में कोयी फरक नहीं रहता॥ दुई दूर हो जाती है और दुआ करने वाले का मन में आसानी पैदा हो जाती है ..

दुआ को कबूल करने का आसान तरीका है कि --- खुदा से मोहब्बत और इश्क में इतनी शिद्दत पैदा हो जाए कि आदमी अपनी चाहत को उसकी रज़ा में ग्रक कर दे॥