असां तलब साइं दे नाम दी
---“शाह हुसेन” फकीर
From the
recital of Pathana khan
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1.
असां तलब साइं दे नाम दी॥ असां तलब साइं
दे नाम दी॥ |
2.
चोर करण नित चोरियाँ , अमली नू अमलां दियाँ घोड़ियाँ ॥ |
3.
कामी नू चिंता काम दी , असां तलब
साइं दे नाम दी॥ |
4.
बादशाह नू बादशाहइयाँ ,शाहाँ नू उघराहीअं॥ |
5.
माही नू चिंता पिंड ग्राम दी, असां तलब साइं
दे नाम दी॥ |
6.
लोक करण लड़ाइयाँ, शर्म रखी तू साइंया॥ |
7.
सब मर मर खाक कमानदियाँ, असां तलब
साइं दे नाम दी॥ |
8.
एह “शाह हुसेन” फकीर ए, तुसी आखों न कोई पीर ए ॥ |
9.
असां कूड़ी गल नहीं भावंदी, असां तलब
साइं दे नाम दी॥ |
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