Thursday, January 27, 2022

WHAT IS FAQIRI, KHALWAT AND JALWAT – BASED ON ASHFAQ AHMED, MANCHALE KA SAUDA

 

WHAT IS FAQIRI, KHALWAT AND JALWAT – BASED ON ASHFAQ AHMED, MANCHALE KA SAUDA

 

Watch this YouTube videoclip of 3.50 minutes, read the transcript, if not fully understood.

https://www.youtube.com/watch?v=hYz7UPbJkcE

The video clip is a dialogue between two individuals –one Kabir Khan, who prefers to lead worldly life of name and fame in the world, and the other (Irshad) who is keen to pursue the spiritual life of a faqir. The terms used in this conversation are Urdu and have a specific relationship with Sufism. For example –

खलक -- the people in this world, रहबानियत—leading a life of seclusion, like a monk or ascetic, ज़ाविया-नशीन—being a hermit,  गार—cave,  मुहतददो— working under orders, राहब—monk or renunciate, वहशतनाइक—wild and savage,  खलवत-  loneliness,  जलवत –in the crowded congregation or assembly.

TRANSCRIPT OF THE DIALOUGE IN THE VIDEO CLIP

Kabeer khan (दोस्त) --तुम खलक से किनारा कर के रहबानियत इख्तियार करना चाहते हो तुम को पता है इस्लाम रहबानियत के खिलाफ है?????

Irshad (the seeker मुरीद) मुझे पता है॥

Kabeer khan -- पता है!!!!, फिर भी उसके खिलाफ कर रहे हो यह सच है या झूठ  है social circle तक खो गया है।  pattern of life बदल गया है॥ और रहबानियत क्या होती है? ज़िंदगी से ज़ाविया-नशीन कर लेना ही रहबानियत है॥

Irshad (the seeker मुरीद) देखो कबीर खान , पहले मेरा ऐब था कि मैं   ---बड़ी privacy  की life  बसर कर रहा था मेरी दौलत सिर्फ मेरे काम आती थी मेरा वक्त सिर्फ मेरे लिए था॥ मेरे शुगल सिर्फ मेरे लिए थे मेरी ज़िंदगी मेरी थी॥ अब मैं इस रहबानियत की गार से बाहर निकल आया हूँ पहली मर्तबा महसूस किया है कि इस दुनिया में मेरे सिवाये और लोग भी हैं, मेरे नौकर चाकर , मेरे मुहतददों के इलावाऐसे इंसान भी हैं जो इस दुनिया में बस्ते हैं॥

(Kabeer khan)  – तुम बहुत idealistic बातें करते हो Irshad हकीक्त से इस कदर दूर रह कर आदमी पागल तो हो सकता है, पर कुछ हासिल नहीं कर सकता॥   

Irshad(मुरीद) – सिर्फ वोह शकस राहब होता है kabeer khan, जो selfish ज़िंदगी बसर करता हैचाहे वो ज़िंदगी की भीड़ में शामिल हो, चाहे वोह पहाड़ की चोटी पर तनह बेठे तपस्या कर रहा हो, दोनों ही खलक से दूर होते हैं॥ और वोह दोनों ही राहब होते हैं

(Kabeer khan)  —तो अब तो चलो, गाड़ी बाहर खड़ी है , वहशतनाइक खवाब खतम हुआ आँख खुल गई हम-दुल-लाह

Irshad(मुरीद) –वहाँ जो ज़िंदगी मेरी मुंतज़िर है वोह खलक से मिलने जुलने नहीं देती और postman मुहम्मद हुसैन फरमाया करते हैं कि जबतकखलवत-- जलवतएक हो जाएं, रहबानियत का चक्कर टूट नहीं सकता॥ जिस दरवाजे पर एक चौकीदार भी मजूद हो, वोह राहब है॥

(Kabeer khan)—दोस्त--- मैं आता रहूँगा जाता रहूँगा॥  मना के छोड़ूँगा by the way जो तुमने यह अभी term खलवत और जलवत वाली use की थी,यह कौन सी बला है

Irshad(मुरीद)—तुम जानते हो खलवत क्या होती है?

(Kabeer khan)—दोस्तहाँखलवत- “तनहायी” –सब से अलेदा

Irshad(मुरीद)— जलवतमतलब जब महफ़िल में आदमी जलवेगर हो, गिरोह में, भीड़ में

(Kabeer khan)—दोस्तफिर यह खलवत और जलवत एक कैसी होती है

Irshad(मुरीद)—फ़क़ीक़त (फकीरी )तनह होती है पर लोग उसकी तनहायी या उसकी   privacy  से खौफ़जदा नहीं होते उसकी चिक उठाकर अंदर घुस जाते हैं॥ अपना हाल बयान कर सकते हैं और जब वोह भीड़ में होता है वोह सब मैं  मिला-जुला नज़र होता है, तब वोह अंदर ऊपर वाले के ध्यान में होता है और जिसमानी तौर पर सब के साथ हर जगह, हर खलवत, हर जलवत में फकीर का एक ही हाल होता है , वोह ऊपर वाले की रज़ा तलाश कर रहा होता है, और साथ साथ वोह सब के साथ सफर कर रहा होता है॥ फकीर का एक ही रूप होता है , उसके कोई दो रूप नहीं होते  

 

DETAILED EXPLANATION

This narrative aims to explain that Faqiri means keeping the relationship with God and the world simultaneously by being attuned to the will of the Lord.

People engaged in worldly pursuits can also be deemed ascetics as the monk or the hermit or those who lead a life of renunciation. Worldly people are self-centered, busy with their affairs, and not concerned with ordinary men. Likewise, monks, or hermits who have renounced the world for a life in remote wilderness, are also not disturbed by other people's physical and mental afflictions.

However, a Faqir remains in touch with the lives of people around him or seeks his advice and helps them in all possible ways. However, Faqir's attention is always attuned to the will of the Lord, whether alone or in a congregation. Inwardly   He remains unaffected by the worldly turmoil and commotion. That is, in essence, the definition of a faqir.

     

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