IS
GOD A CONCEPT OR EXISTENCE ?
खुदा ख्याल है या मुजूद है ॥
एक
आलम-फ़ाजल की सोच है –कि कुछ लोगों के लिए खुदा सिर्फ एक ख्याल के मानिंद ही है और दूसरे यह समझते हैं कि वोह मुजूद है ॥ दोनों सही
हैं depending upon the state of mind and level of
consciousness of each human being. अल्लाह को तो कोई फरक नहीं पड़ता
कि उसकी खालिक उस के बारे में क्या सोचती है ॥
इंसान,
काएनत और कुदरत की तखलीक (creation) तो मुजूद के दायरे में आ जाती है॥ खुदा को कोई चाहत या उम्मीद नहीं है कि कोई उसको
मानता है या नहीं। ना-मानने वाले और मानने वाले सब बराबर हैं ॥ वोह तो सब की तरबीयत
कर रहा है या फिर कोई सिस्टम सारी काएनत को चला रहा है॥
फिर
सवाल पैदा होता है ---कि आदमी को खुदा की इबादत से क्या फायदा,या नफा है और पेगएम्बार,
औलिया, पीर, संत सतगुरु उसकी पुरजोश अक़ीदत और इश्क का जिक्र क्यों करते हैं॥ उन हज़रात
का मकसद सिर्फ इतना ही है --- इंसान की ज़िंदगी
के सफर में असानियाँ पैदा हो जाएँ or to
create tolerable state of affairs in the world क्योंकि आदमी के तुसवर
का मंज़र सुख की तलाश है और हयात के अज़ाब को तर्क करना है ॥
रब
ने कभी भी यह ताकीद नहीं की या मंशा जाहिर नहीं की, कि अगर बंदा उसके ऊपर यकीन नहीं
करता तो वोह शकस उसकी रहमत से महरूम होगा ॥ यह सब वहम, ताशीर या propaganda शेख, मौलवी, पुजारी,पंडित लोगों ने अपने धंधे के
लिए बनाया है ॥
मानो
या न मानो , ख्याल में समझो या मुजूद में समजो –सब आदमी के ऊपर मुनसर है ॥ रब की रहमत
सब के ऊपर बराबर है ॥
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